वंदे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है।
मुक्तक ............................... झूठ की यूँ कथा मत रचो। कागजी बस व्यथा मत रचो। आचरण में रचो प्रेम को, अन्यथा कुछ वृथा मत रचो।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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