कुण्डलिया
भाषण सुनकर भैंस की,और देखकर शक्ल। समझ नहीं आता हमें,भैंस बड़ी या अक्ल।। भैंस बड़ी या अक्ल,सियासत जो न कराये। मुल्क भले हो नष्ट,मगर कुर्सी मिल जाए। जबसे नेता बने,जातिवादी आकर्षण। लूट रहे हैं देश,जातिगत देकर भाषण।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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