वंदे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है।आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
पानी का डर आग में,होना जरुरी है। जहर है तो नाग में,होना जरुरी है। हर संतुलन के मूल में,सामर्थ्य ही बैठा, ये संतुलन हर भाग में,होना जरुरी है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment