वंदे मातरम्!मित्रो!आज एक गज़ल हाजिर है।स्नेह सादर अपेक्षित है।
पहले जीवन ,पढ़ना सीख।
खुद से खुद को,गढ़ना सीख।।
बैसाखी को छोड़,पाँव से,
ऊँचे पर्वत ,चढ़ना सीख।।
अपनी कोशिश की,कमियों को,
मत किस्मत पर ,मढ़ना सीख।।
अँधियारों से लड़कर, आगे,
ज्योतिर्मय हो,बढ़ना सीख।।
त्याग हृदय से,पूर्वाग्रह औ,
अच्छी बातें ,करना सीख।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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