वंदे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक समर्पित है।
यहाँ पर सत्य के क़ातिल बहुत हैं। जश्न ए झूठ में शामिल बहुत हैं। वे,जिसमे चाटुकारी ,वृति का अद्भुत समागम, तख़्त की नजर में काबिल बहुत हैं।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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