वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक कुण्डलिया हाजिर है।
माया,ममता केजरी,मुल्लाएम सरताज।
सत्ता कुर्सी के लिए,पढ़ते रोज नमाज।
पढ़ते रोज नमाज,तुष्टि के कलमा गाते।
जातिवाद के राग,घृणा भरकर दुहराते।
बाँट रहे सब मुफ्त,चुनावी मौसम आया।
झूठे वादे स्वप्न,सियासी अद्भुत माया।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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