सगरी मित्र लोगन के राम राम !एगो हमार छोट आलेख हाजिर बा।पढ़ि के आपन विचार जरुर देहब सभे।
भोजपुरी भासा के छहँत्तरी लोग
हमनी के भोजपुरी समाज में मेहरारू लो चोना करेला त अच्छा भी लागेला इ ओह लोगन के प्राकृतिक गुन भी ह।बाकिर जब मरद भी मेहरारू लेखा चोनाये लागे त ओकरा के मऊगा कहल जाला।एह तरह के लोगन में मेहरारू के सगरी हाव भाव पावल जाला। हं एह तरह के लोग बड़ा बतक्कड़ होला आ बाड़ा मीठ बोलेला।इ लोग झगराह ना होला। समझदार भी होला लो।इ लो बाड़ा कलाकार होला।सिआई फराई होखे चाहे आँगन,चूल्हा चौका के लिपाई होखे चाहें जाँत पर दाल दरे के काम होखे बड़ा चिकन ढंग से काम करेला लो।एह लोगन से सगरी मेहरारू लो बड़ा खुस रहेला,आ खुल के बतियावे लालो । इ लो मरद से ज्यादा मेहरारू लोगन से बतियावे में रूचि लेला।हाथ मुँह आँखि चमका चमका के जब बतियावे ला त सुने वाला लोग बड़ा रस लेके सुनेला।बात बात में फलनिया चिलनिया बछियालोग जइसन शब्दन के बेर बेर प्रयोग करेला लो।कबो कबो अपना के मरद होखे के प्रमाण देखावे खातिर मुड़ी पर गमछा से
पगड़ी बान्हि के मोंछि पर ताव देबे लागेला,तबले ओकरा महसूस होला कि ओकरा मोंछ त हइले नइखे फेरु अपना असली हाव भाव में आ जाला लो आ मुँह पर हाथ रखि के खी खी कर के हँस देला लो।इ लो बड़का चिपकू भी होला।केहू के बात ना टालेला लो।चाल में भी अइसन लचक होला कि हिरनी भी लजा जाली।हं अंतिम बात इ कहे के बा कि कुछ भोजपुरिया मित्र लोगन में भी तिरियाचारित्तर आ छहँत्तर से भरपूर कुछ लोग देखाई देला जेकरा हर बात के टोन में चोना भरल रहेला।माफ़ करेब सबे हम तनी मोट बुद्धि के आदमी हईं ढेर महीन बात ना करेनी।लोग एथी (?)से कइसे कसैली काट लेला आज ले हमरा समझ में ना आइल।हम भोजपुरी के कुंवर सिंह के आचरण वाला भासा के समर्थक हईं।नचनिया बजनिया लोग भोजपुरी के प्रतिनिधि बने एकर समर्थक हम ना हईं।काहे कि इहे लोग पटना हाईकोर्ट के अश्लीलता पर रोक के फैसला के बावजूद भी भोजपुरी गीतन में अश्लीलता परोसे के सबसे बड़हन जिमेवार बा लो। जवना से उबारे खातिर कुछ गायक/गायिका अपना जी जान से लागल भी बा लो। इ प्रयास भी एह अश्लीलता के आगे ऊंट के मुंह में जीरा साबित होता लेकिन अगर संकल्प शक्ति मन में होखे त अश्लीलता के अन्हरिया एकदिन जरुर खतम होई। नीतीश सरकार भी अश्लील गीतन के रोके खातीर कुछ घोषणा कईले बिया।जे असली भोजपुरी भासा आ साहित्य के विकास में लागल बा उ चुपचाप काम कर रहल बा आ कुछ लोग खाली विज्ञापन करिके आठवां अनुसूची में शामिल करावे के नाम पर भोजपुरी के अपना नामे बैनामा करावे के चक्कर में लागल बा।कुछ लोग अइसन देखावा करेला जइसे सगरी भोजपुरी ज्ञान उनके लगी बा। कुछ लोग अपना राजनैतिक स्तर पर जोड़ के इस्तेमाल कर रहल बा।भोजपुरी भी नेतागिरी के शिकार हो गइल बिया।एकरा के बचावे खातिर लगातार एकर साहित्य के मजबूत कइल जरुरी बा।जे जहवाँ लागल बा लागल रहो।
जय भोजपुरी!जय भोजपुरिया!!
डॉ मनोज कुमार सिंह
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