वंदे मातरम्!मित्रो!एक सम सामयिक मुक्तक हाजिर है।
ज्यों चोरों की बस्ती में,पुलिस की आहट काफी है। वैसे ही नरसिंहों की केवल गुर्राहट काफी है। असली सिंहो के आने की,खबर मिली जबसे यारों, छुपे भेड़ियों के दिल में,दहशत घबराहट काफी है।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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