वंदे मातरम्!मित्रो!एक कड़वा सच मुक्तक के रूप में हाजिर है।स्नेह सादर अपेक्षित है।
देश की सत्ता घरानों तक,
रहेगी कब तलक।
भय घुटन की जिंदगी,
जनता सहेगी कब तलक।
कब तलक होगी सियासत,
जाति,मजहब के तले,
इस गुलामी की नदी,
आखिर बहेगी कब तलक।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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