वन्देमातरम् मित्रो! कुछ हायकु आपको समर्पित हैं-स्नेह अपेक्षित है-
1- माफ़ कर माँ
अब नहीं आऊँगी
तेरी कोंख में।
2- फूल है बेटी
सुगंध जीवन की
खिलाओ उसे।
3- बेटी पढ़ेगी
तभी आगे बढ़ेगी
धार दो उसे।
4- सोनचिरैया!
कब आओगी बोलो
मेरे बाग़ में।
5- बिटिया हँसे
झरे आसमान से
जैसे चाँदनी।
6- इंसान नहीं
आजतक औरत
वस्तु केवल।
7- माँ है औरत
बहन भी औरत
प्राण प्रिया भी।
8- वेश्या औरत
औरत ही होती है
पत्थर नहीं।
9- जूझ रही है
सदियों से औरत
सोचा है कभी।
10- आ गए बौर
बौरा गए हैं पेड़
लगे झूमने।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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