Saturday, July 18, 2015

मुक्तक

वन्देमातरम्!मित्रो!बहुत दुःख होता है जब हमारा कोई सिपाही माफिया के हाथों मारा जाता है और मीडिया उसे तवज्जो नहीं देता। दिल्ली में कोई कैंडिल मार्च दिखाई नहीं देता। कारण ये भी है कि इस से मीडिया की टी आर पी नहीं बढ़ती। ऐसे बहादुर सिपाही को शहीद का दर्जा भी नहीं देते। मुरैना में घटी घटना केजरिया के समाचार में इस प्रकार दब के रह गई जैसे कुछ हुआ हीं नहीं। उस शहीद सिपाही धर्मेन्द्र सिंह चौहान को एक मुक्तक के माध्यम से नमन करता हूँ-

वीर शहीदों के घर हमने ,दर्द का मेला देखा है।
भीड़ भरी दुनिया में रोते,उन्हें अकेला देखा है।
जिसने भी खोया अपनों को,सच्चाई की रक्षा में,
उनसे ज्यादा तकलीफों को,किसने झेला देखा है।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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