वन्देमातरम्!मित्रो,आज एक मुक्तक आपको समर्पित कर रहा हूँ।आप सभी का स्नेह सादर अपेक्षित है। अधिक से अधिक अपनी टिप्पणी देकर मेरी पंक्तियों को उर्जा प्रदान करें।
भले विश्वास गैरों पर,कभी बेशक नहीं करना।
मगर माँ,बाप,गुरुओं पर ,कभी तुम शक नहीं करना।
ममता,त्याग की प्रतिमूर्ति का ,अपमान करके तुम,
खुदा के वास्ते खुद को ,कभी नाहक नहीं करना।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment