Thursday, July 23, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्!एक मुक्तक आप सभी मित्रों को समर्पित कर रहा हूँ। आप सभी का स्नेह सादर अपेक्षित है।

अदा करता है जो मिहनत,पसीना और कीमत।
उसे हीं प्राप्त होती है,सफलता की वसीयत।
अलग ये बात है गधे,यूँ बैठे कुर्सियों पर,
यहीं इस दौर की ,सबसे बड़ी शायद हकीकत।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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