वन्देमातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक आपको समर्पित कर रहा हूँ। आपकी स्नेहपूर्ण टिप्पणी हीं मेरी लेखनी की उर्जा है। टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
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या तो दिल में वो हसरत नहीं है।
या तो मेरी जरुरत नहीं है।
जबसे हाकिम बने तुम शहर के,
मुझसे मिलने की फुरसत नहीं है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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