Thursday, July 30, 2015

मुक्तक (भोजपुरी)

राम राम!आप सबके आजुओ एगो मुक्तक परोसत बानी। नीक लागे त सनेह दीहीं।

भासा भोजपुरी,हिंदी ,देसवा से काटि के।
चलि गइले बड़े-बड़े ,खूबे माटी पाटि के।
जे भी बा बचल आजु ,उहो सब बिलात बा,
मारल जाता देस इ ,उलाटि के पलाटि के।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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