राम राम!आप सबके आजुओ एगो मुक्तक परोसत बानी। नीक लागे त सनेह दीहीं।
भासा भोजपुरी,हिंदी ,देसवा से काटि के। चलि गइले बड़े-बड़े ,खूबे माटी पाटि के। जे भी बा बचल आजु ,उहो सब बिलात बा, मारल जाता देस इ ,उलाटि के पलाटि के।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment