Saturday, July 18, 2015

दोहे

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज तीन दोहे आप सभी को सादर समर्पित कर रहा हूँ। बुरा न माने तो कड़वी सच्चाई है कि हमारे कुछ मित्र जो मेरी हीं रचनाओं को मेरे वाल से उड़ाकर अपने वाल पर अपने नाम से पोस्ट कर देते हैं ।ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा हो चुकी है। आप मित्रों से विनम्र निवेदन है कि मुझे टैग न करें तथा मेरी रचनाओं पर टिप्पणी दें,पसंद करें,शेयर करें ताकि मित्रता की गरिमा बरकरार रहे। लीजिये ये तीन दोहे सादर समर्पित हैं-

1- चुटकुलों तक है सीमित,जिसका अपना ज्ञान।
     वो क्या समझेगा भला,हास्य-व्यंग्य की तान।।
2- जिनमें सतही ज्ञान है,बने फिरें विद्वान्।
     ह्वाट्सऐप पर झाड़ते,नित्य अलौकिक ज्ञान।।
3- ह्वाट्सऐप पर है नहीं,कोई मौलिक टेस्ट।
      मुझको तो दिखता वहाँ,केवल कॉपी पेस्ट।।

       डॉ मनोज कुमार सिंह

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