वन्दे भारतमातरम्!मित्रो! अभी एक समसामयिक मुक्तक कश्मीर की तात्कालिक घटना पर आधारित है जहाँ पाकिस्तानी झंडा फहराने का मामला है.....
जाने कब से हमने यूँ हीं गलतफहमियाँ पाले हैं।
जैसे शौक से हमने कितने कुत्ते-कुतिया पाले हैं।
यहीं तीन सौ सत्तर है,देखो तुम भी अब घाटी में,
सूअर के छौने-से कितने ,मसरत,आसिया पाले हैं।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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