वन्दे भारतमातरम्! एक मुक्तक-
तिरते दिख रहे हैं,कुछ सृजन के गीत आँखों में।। समायी है कि जैसे धडकनों सी प्रीत आँखों में। कभी जब शब्द शिल्पी रच रहा हो भाव का सागर, लहर की थाप से उठते मधुर संगीत आँखों में।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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