Saturday, July 18, 2015

दोहे और कुण्डलिया

वन्दे मातरम्! मित्रो! योग पर कुछ दोहे और एक कुण्डलिया आपके लिए समर्पित कर रहा हूँ। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है-

रहना है गर स्वस्थ तो,चला पैर औ हाथ।
करो सूर्य आसन सुबह,ओम ध्वनी के साथ।।

योगासन हथियार से,करते हम जब वार।
मोटापा,प्रेशर,शुगर,मिटते सभी विकार।।

अनजाना सच योग का,यहीं योग का सार।
मृत में अमृत भर करे, ऊर्जा का संचार।।

छोड़ दौड़ना भागना,टहल सुबह औ शाम।
सहज सहज पाओ सदा,स्वस्थ,सुखद परिणाम।।

कपालभाती नित्य कर ,कर अनुलोम विलोम।
प्राणायाम अभ्यास से,मिटते सब सिन्ड्रोम।।

योगासन हरता सदा,मन के सभी तनाव।
तन को देता दिव्यता,औ मन को मृदुभाव।।

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!कल विश्व योग दिवस है ,जिसे 177 देश समर्थन दे रहे हैं,जिसमें 46 मुस्लिम देश भी शामिल हैं। इस उत्तर आधुनिक युग में विश्व के तमाम देशों ने महसूस किया कि इस भागम भाग की दुनिया में तनाव बहुत है और तमाम रोगों की उत्पत्ति भी हो रही है ।इससे मुक्ति पाने का सबसे सस्ता ,सरल मार्ग योग का है। चूकि भारत ने इसका मार्गदर्शन किया  है तो  हमें इस दिवस पर गर्व करना चाहिए। योग दिवस पर एक कुण्डलिया आप सभी मित्रों को समर्पित कर रहा हूँ। स्नेह अपेक्षित है।

"योग दिवस उपलब्धि है,जिस पर हमको नाज़।
विश्व गुरु की राह पर,भारत फिर से आज।
भारत फिर से आज,जगाया है दुनिया को।
जिजीविषा का पाठ,पढ़ाया है दुनिया को।
स्वस्थ रहें,मस्ती करें,और भगाएँ रोग।
सत्य कर्म यह मानकर,नित्य करें हम योग।।"

डॉ मनोज कुमार सिंह

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