Sunday, July 19, 2015

गजल(भोजपुरी)

आज एगो भोजपुरी  के निठाह टटका गजल रउवा सब के समर्पित करत बानी। अगर नीक लागे त आपन सनेह जरुर दीहीं।

नेह के फूल मन में उगाईं।
गंध इंसानियत के सुंघाईं।

आजमा के कबो रउवा देखेब,
इ जिनिगिया हंसी-मुसकुराई।

रोशनी में अन्हरिया छिपा के,
अब बिकत बा जहर के मिठाई।

गैर के दर्द पर जे हँसेला,
आदिमी ना ह ,ह उ कसाई।

नन्हकी कहलस कि मत जा कमाए,
घुघुआमाना के हमके खेलाई।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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