मातृशक्ति को नमन! मित्रो,आज विश्व महिला दिवस पर अपने मन की पीड़ा को एक रचना के माध्यम से आपको समर्पित करता हूँ। अगर आप भी ऐसा हीं महसूस करते हैं तो अपनी टिप्पणी अवश्य दीजिये।like की जरुरत नहीं।
गा झूठे यशगान ,वंदेमातरम।
किया बहुत अपमान ,वंदेमातरम।
तेरे चरणों में कैसे अर्पित कर दूँ,
मन अपना बेईमान ,वंदेमातरम।
मातृशक्ति अपमानित सदियों से देखा,
फिर भी देश महान, वंदेमातरम।
राष्ट्र-अस्मिता की सीता कैसे आये,
कौन बने हनुमान ,वंदेमातरम।
अब भी काली ,दुर्गा की इस धरती पर ,
जगह-जगह शैतान ,वंदेमातरम।
तुझे देह बस समझ ,आज तक अपनाया,
किया नित्य अपमान, वंदेमातरम।
बाजारों,दरबारों की सौगात बनी,
सजी हुई दूकान,वंदेमातरम।
अहंकार पुरुषार्थ ,सदा पाले बैठा,
रहा कुचलता मान,वंदेमातरम।
सब कुछ तू ,दुनिया की नज़रों में लेकिन,
नहीं रही इंसान ,वंदेमातरम।
मुर्गे की बोटी महँगी ,तू सस्ती है,
यहीं आज पहचान ,वंदेमातरम।
क्या मिलता सुख,अमृत दुनिया को देकर ,
खुद करती विषपान,वंदेमातरम।
आज कोंख भी बना दिया तेरी खातिर,
हमने कब्रिस्तान ,वंदेमातरम।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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