वन्देमातरम् मित्रो!एक मुक्तक आपको सादर समर्पित कर रहा हूँ। आप अधिक से अधिक अपनी टिप्पणी देकर मेरा हौसला आफजाई करें ताकि मेरी ऊर्जा सतत प्रवाहित होती रहे-
हृदय कुञ्ज में गुंजित अनहद ,नाद जरुरी है।
मन के भावों का भाषिक, अनुवाद जरुरी है।
अगर किसी का प्यार ,समझना है तुमको प्यारे,
तो आँखों से आँखों का ,संवाद जरुरी है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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