न्यायपालिका की जय जय हो-मित्रो!एक मुक्तक आपको समर्पित।
सच पूछिये तो दिल को ,अब सकून आ गया। खुशियों का जैसे कोई ,टेलीफून आ गया। छाया था अँधेरा जो,कई साल से यहाँ, उसको मिटाने चाँद बन ,कानून आ गया।।...वन्दे भारतमातरम्!
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