Friday, December 18, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज एक समसामयिक मुक्तक समर्पित है जो 'पैसे के लिए कुछ भी बोलेगा' विषय पर केन्द्रित है। आप सभी का स्नेह सादर अपेक्षित है।

असहिष्णुता दिखती जिनको,पल में कैसे पलट गए,
पैसा जिनका लक्ष्य सदा,अब कहना कुछ भी नहीं शेष है।
वेश बदलकर गद्दारों ने बहुत यहाँ नुकसान किया,
झूठी कारोबारी माफ़ी,'दिलवाले' से बड़ा देश है।

डॉ मनोज कुमार सिंह


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