वन्दे मातरम्! मित्रो!आज एक ताज़ा गजल हाजिर है। आपका स्नेह टिप्पणी के रूप में सादर अपेक्षित है।
आज देश की, मूल सियासत।
नेता गद गद,जनता आहत।
चोरी कर फिर ,सीना जोरी
कैसी अद्भुत, चोर बगावत।
बड़ा वहीं है,नाम है जिनके,
लूट,घोटाला,जेल,अदालत।
लोकतंत्र में ,सत्ता,कुर्सी,
परिवारों की, बनी विरासत।
मुफ्त मुफ्त, वाले वादों से,
बिगड़ गई है ,कितनी आदत।
जातिवाद से ,देश हमारा,
दीखता है ,कमजोर निहायत।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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