वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज विश्व हृदय दिवस के बहाने एक मुक्तक प्रस्तुत है। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है-
मुहब्बत ,दुआ ,नेकी,भरपूर दिल से कीजिए।
बुरी गर सोच है तो,दूर दिल से कीजिए।
तजुर्बों की निहायत ,खूबसूरत लबोलहज़े से,
खैरमकदम किसी का ,जरुर दिल से कीजिए।
(खैरमकदम-स्वागत)
डॉ मनोज कुमार सिंह
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