Monday, December 14, 2015

भोजपुरी व्यंग्य गीत

सगरी मित्र लोगन के राम राम! आजु भोजपुरी भासा के एगो गीत रउवा सब के परोसत बानी,जवन आज के तथाकथित भोजपुरी अश्लील गायकन खातिर बा। इ गीत आज के भोजपुरी भासा के दुर्गति में शामिल सगरी लोगन खातिर भी बा जे अपना घर में ,पड़ोस में,समाज में एह अश्लील गीतन के सुनत बा आ रोके में आपन सहयोग नईखे देत। गीत व्यंग में बा। समझे के कोशिश जरुर करब सभे।

जेतना बाउर गाएब रउवां।
ओतने ऊपर जाएब रउवां।
चोली,ढोढ़ी के गीतन से,
पईसा बहुत कमाएब रउवां।

बहुते नीमन काम होत बा।
भोजपुरी के नाम होत बा।
धूम मचल गीतन पर रउवां,
जईसे बईठल धाम होत बा।
दुर्गा पूजा के सीजन भर,
रंडी नाच नचाएब रउवां।

हचकि हचकि के गावत रहीं।
डीजे रोज बजावत रहीं।
ढिम चिक ढिम चिक नया ताल पर,
नाचत अउर नचावत रहीं।
भोजपुरी के ईज्जत बढ़ी,
बा विस्वास बढ़ायेब रउवां।

भिखारी के नाम मेटा दीं।
राजिंदर के दीप बझा दीं।
सरदा सिनहा के गीतन पर,
सगरो अब कालिख पोतवा दीं।
भोजपुरी के जयचंद जी,
माला हम पहिराएब रउवां।

चोली के रंगोली वाला।
समियाना के गोली वाला।
छिनराई के बदजुबान से,
हँस्सी अउर ठिठोली वाला।
भोजपुरी के फिलिम बनाईं,
निहिचित ओस्कर पाईब रउवां।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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