वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक आपको समर्पित करता हूँ। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है।
आज प्रेम की जगह ,घृणा,संत्रास पढ़ाया जाता है।
बच्चों को कूड़ा-करकट ,बकवास पढ़ाया जाता है।
राम,कृष्ण,राणा,सुभाष ,गायब दिखते अब पन्नों से,
सच्चाई से कटा,छद्म इतिहास पढ़ाया जाता है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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