Monday, December 14, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत मनाये जा रहे कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं की झलकियों के साथ मेरी चार पंक्तियाँ हिन्दी के सतत्  विकास के लिए समर्पित।

हिन्दी तेरा रूप मनोहर,सहज,सरल,कल्याणी।
बन जाओ तुम अखिल विश्व की जन जन की मृदुवाणी।
ज्ञान और विज्ञान की भाषा,बनो कामना मेरी,
तुझे बोलकर हर्षित होए,दुनिया का हर प्राणी।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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