वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक ताजा गज़ल आपको समर्पित कर रहा हूँ। आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
जिंदगी से बात कर तू प्यार से।
चल सदा अपनी सहज रफ़्तार से।
लक्ष्य पाना है तो ,खुद ऊपर उठो,
मत गिला-शिकवा करो संसार से।
वीरभोग्या है धरा,ये इसलिए,
शेर की तुलना करो,मत स्यार से।
भाग्य पर औ भीख पर ,मत कर यकीं,
आत्मगौरव मत गिरा,कुछ हार से।
तुझमें इक सूरज छिपा,अहसास कर,
डर नहीं तू बेवजह,अँधियार से।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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