Monday, December 14, 2015

गजल

वन्दे मातरम्!मित्रो!एक रचना उन तथाकथित साहित्यकारों के नाम जो आज साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाकर फिर से सुर्खियाँ पाने के चक्कर में हैं। आधारहीन तथ्यों के आधार पर पुरस्कार को लौटाना उनकी सियासी चाल को भी बेपर्द करता है। कागज तो लौटा रहे है पर सम्मान में मिली धनराशि ब्याज सहित नहीं लौटा  रहे। कांग्रेस के जमाने में घटी घटनाओं के आधार पर  पुरस्कार लौटाना कितना उचित है?

चाय सारा मुफ्त पीकर,पन्नी लौटाने का अर्थ।
जैसे सौ का कर्ज ले,चवन्नी लौटाने का अर्थ।

दामिनी के दर्द का ,एहसास का हिसाब दें,
या बताएँ माँ को उसकी,मुन्नी लौटाने का अर्थ।

भूल गए हो गोधरा या  तू अक्षरधाम को,
या पिता की आँख की,रोशनी लौटाने का अर्थ।

वो जो भागलपुर में ,फैला था अँधियारा कभी,
उनके आँगन में बता,चाँदनी लौटाने का अर्थ।

कश्मीरी पंडित मरे,सिख दंगा पर बता,
बलत्कृत बेटी का नहीं,चुन्नी लौटाने का अर्थ।

रश्दी औ रहमान के प्रतिबन्ध कैसे भूलते?
मुझको मालूम सेव खाकर,सुथनी लौटाने का अर्थ।।

(सुथनी -एक फल जिसे सामान्य रूप से लोग नहीं खाते)
डॉ मनोज कुमार सिंह

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