Tuesday, December 15, 2015

कविता


राम राम सब मित्र लोगन के! एगो मन के भाव देखीं आ आपन विचार दीहीं।

जतना सुघर
अहसास के सुगंध
गाँवन में
गोबर सानत
चिपरी पाथत
सानी पानी करत
भरुकी बनावत
लकड़ी बीनत
कथरी सीयत
बोझा ढोवत
खेत सोहत
खुरुपी हँसिया
आ कुदार चलावत
हाथन में बा
उ परदा पर चोना करत
परियन के
लवेनडर पोतल
मुखौटा में नईखे।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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