वन्दे मातरम्!आज एक प्रतीकात्मक मुक्तक समर्पित है।अच्छा लगे तो आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
जो बिगड़ा हुआ जीवन,सँवार देता है।
जंग खाये हुए रिश्तों को,धार देता है।
फूल पत्तों फलों पर,इतना भी गरूर न कर,
वक्त सबका नशा,इकदिन उतार देता है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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