वन्दे मातरम्!आज यूएन में भारत की आवाज में अपनी आवाज मिलाते हुए एक मुक्तक प्रस्तुत है।स्नेह जरूर दीजियेगा।
जो मज़हब मौत का सौदा करे, दुनिया के नक्शे में,
उसे क्या हक़ है यूँ ,इंसानियत की बात करने का।
लाखों लोग जिनकी ,मज़हबी खंज़र से मरते है,
न जाने वक्त कब आये,ऐसे मज़हब के मरने का।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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