दोहे मनोज के..
स्वतः बनेगा देश ये,नैतिक श्रेष्ठ समाज।
कैशलेस गर हो सके,राजनीति ये आज।।
अनुभव की अभिव्यक्ति का,जरिया श्रेष्ठ,महान।
दोहा,मुक्तक लिख ग़ज़ल,अद्भुत छंद विधान।।
लाउड स्पीकर हाथ में,पैरों में रख देश।
चिल्लाकर वो दे रहे,हमें शान्ति संदेश।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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