राम राम सब मित्र लोगन के!एगो हमार गीत हाजिर बा।रउवा सबके टिप्पणी से हमरा ऊर्जा मिलेला।अच्छा लागे त सनेह दीहीं।
जाके दुनिया मे मत हमनी के भुलईह सुगना।
अपना खोतवा में कबो कबो अईह सुगना।।
डाढ़ आ पतई सभे उदास।
जेकर ललना रहलS खास।
रहलS सबके तू चितचोर।
तहसे बगिया रहे अँजोर।
करिके हमनी के बिसभोर,मत गुमईह सुगना।।
अपना खोतवा में कबो कबो अईह सुगना।।
नीड़ ना देवेला आसमान।
खाली होला उहाँ उड़ान।
धरती ही देले सबका के,
जीवन मे ठउर ठेकान।
देखि के चकाचौंध दुनिया के मत भरमईह सुगना।।
अपना खोतवा में कबो कबो अईह सुगना।।
बनिके चन्दा जस चितचोर।
करिह सगरो जाय अँजोर।
जहवां होई रात अन्हरिया,
उहवाँ बनके उगिह भोर।
पोंछे में दुखियन के लोर,मत शरमईह सुगना।।
अपना खोतवा में कबो कबो अईह सुगना।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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