वंदेमातरम्!मित्रो!एक मुक्तक समर्पित है।
पूरी जमीन पूरा आसमान देखता है। वो मुक़म्मल दुनिया जहान देखता है। छिपा ले लाख कोई झूठ अपना, कोई देखे न देखे भगवान देखता है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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