गीत
पूछ रही बहती नदी से तिरती नाव।
कहाँ जा रही हो,कहाँ है तेरा गाँव।
अद्भुत इक धार लिए,
मन में ज्यों प्यार लिए,
सोहर की पंक्तियों सी,
हलचल गुंजार लिए,
लगता है याद में किसी के, बहके पाँव।
पूछ रही बहती नदी से तिरती नाव।
प्रियतम है दूर बहुत,
होगा मशहूर बहुत।
आकुलता बता रही,
तू भी मजबूर बहुत।
चल पड़ी जो सहती तू कड़ी धूप-छाँव।
पूछ रही बहती नदी से तिरती नाव।
लहराए आँचल-सी
छमक जाए पायल-सी
उनींदी चाल तेरी,
कर जाए घायल-सी।
चंचल हिरनी सी चले कभी मस्त भाव।
पूछ रही बहती नदी से तिरती नाव।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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