वन्दे मातरम्!दो दोहे सादर प्रस्तुत हैं-
काव्य वृक्ष पर जब फलें,छंद, बिम्ब,लय,ताल। अमृत रस घोले सहज,हृदय मध्य तत्काल।।
शब्द,भाव की सर्जना,बनती काव्य विभूति। गीत,ग़ज़ल, दोहा रचे,लेकर नव अनुभूति।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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