वंदेमातरम्!एक मुक्तक समर्पित है।अच्छा लगे तो स्नेह जरूर दीजिएगा।
तन बूढ़ा होता है निश्चित,मन भी बूढ़ा होता क्या?
त्याग,समर्पण करने वाला,जीवन में कुछ खोता क्या?
जिसने बाँटी है दुनिया में,केवल खुशियाँ ही खुशियाँ,
ग़म पाकर भी घबराकर वो,कभी दिखा है रोता क्या?
डॉ मनोज कुमार सिंह
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