वन्दे मातरम्!सुप्रभात मित्रो! अपनी बात लेकर मेरे तीन दोहे हाजिर हैं।आपका स्नेह सदैव की तरह बना रहे।टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
भला बुरा जो भी लगे, है सौ की इक बात।
कविता मेरी बोलती,खरी खरी सी बात।।1।।
फुटपाथी पाठक सदा,रहें वाल से दूर।
गुणग्राही कुछ मित्र ही,हैं मुझको मंजूर।।2।।
टैगासुर सुन प्रार्थना,मत कर तू मजबूर।
नहि तो करके ब्लॉक फिर,कर दूँगा मैं दूर।।3।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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