वने मातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक हाजिर है,आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
सूरज पर लिखना,चान पर लिखना। या पूरी जमीन,आसमान पर लिखना। अग्नि की अनुभूति के बिन,जिंदगी में, झूठ है प्यारे,तापमान पर लिखना।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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