वन्दे मातरम्!मित्रो!एक ताजा मुक्तक हाजिर है। स्नेह सादर अपेक्षित है।
जिसकी उर्जा से धरती के ,कण-कण को जीवन मिलता,
प्रखर रूप धर सूर्य अकेला,नित्य गगन में जलता है।
उसी तरह रक्षार्थ धरा पर,करता जो सद्कर्म सदा,
सहज आत्मविश्वास लिए,नर-सिंह अकेला चलता है।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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