राम राम मित्र लोगन के!एगो मुक्तक हाजिर बा। सनेह देहब सभे।
ताल अचके में बेताल हो जाता। आज हर बात पर बवाल हो जाता। इ कइसन समय बा?,अच्छा करीं कतनो रउवाँ, खड़ा ओहपर सवाल हो जाता।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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