Saturday, November 19, 2016

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!एक मुक्तक हाजिर है। स्नेह चाहूँगा।

कविता कम चुटकुला सुनाना,चाहता है।
मंचों से बस बात बनाना,चाहता है।
आत्म प्रकाशन में अपनी,औकात से ज्यादा,
जुगनू खुद को सूर्य बताना,चाहता है।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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