Friday, November 18, 2016

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!एक ताजा मुक्तक हाजिर है।आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।

कैसी सियासत हो गई यारों यहाँ,
प्यार से मारने की चल रही मुहीम साहब।
मरीजों को मार रहे हकीम मिलकर,
जय भीम को निगल रहे मीम साहब।

डॉ मनोज कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment