वन्दे मातरम्!मित्रो!उत्तर प्रदेश के चुनाव के संदर्भ में एक कुण्डलिया हाजिर है। आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
बँटवारा टिकट हुआ,लेकर लाख,करोड़।
प्रत्याशी थे पा टिकट,दिल से भाव विभोर।
दिल से भाव विभोर,अचानक विपदा आई।
टिकट न हो फिर रद्द,आँख से नींद उड़ाई।
हे पार्टी परधान!,फैसला करो दुबारा।
कालाधन ले करो,टिकट का फिर बँटवारा।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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