वन्दे मातरम्!आज एक मुक्तक हाजिर है। स्नेह सादर अपेक्षित है।
दरिया देख समंदर,देख। पोरस बन सिकंदर,देख। बाहर के दुश्मन से ज्यादा, पड़े देश के अन्दर,देख।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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