वन्दे मातरम्!मित्रो!एक कुण्डलिया हाजिर है। आपकी टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
कालाधन पर वार कर,दे दी ऐसी चोट।
हो हजार या पाँच सौ,मरे पड़े सब नोट।
मरे पड़े सब नोट,बैंक जा जिंदा होंगे।
जिसमें होगी खोंट,सदा शर्मिंदा होंगे।
कितने पागल आज,दिखे बाबू,नेतागन।
गरियाते बस आज,व्यर्थ जिनका कालाधन।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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