Thursday, May 30, 2019

दोहा

जबसे लूट-खसोट की,हुईं दुकानें बंद।
कौवे मिलकर पढ़ रहे,मक्कारी के छंद।।

ठगबंधन कर ले भले,जितना भी पाखंड।
जनता बिल्कुल मौन है,देगी निश्चित दंड।।

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